बहुत समय पहले की बात है कि किसी राज्य में एक बड़ा प्रतापी राजा राज्य किया करता था। उसके राज्य में प्रजा बड़ी सुखी थी और वह काफी दान-पुण्य भी किया करता था। उसके दान-पुण्य के चर्चे सुनकर कई फकीर उसके राजमहल में आकर उससे वांछित दान ग्रहण किया करते थे। उसकी प्रशंसा सुनकर एक दिन, एक फकीर राजा के राजमहल में पहुंचा। उस समय राजा भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि वह उसे संसार का सबसे अमीर व्यक्ति बना दे। राजा की प्रार्थना सुनकर फकीर हंसा और मुड़कर वापस जाने लगा। राजा ने फकीर को रोका और उससे पूछा- अरे बाबा, आप बिना कुछ मांगे ही वापस जा रहे हो।
फकीर ने उत्तर दिया- राजन् ! मैं आया तो था आपसे कुछ मांगने के लिए, किन्तु मैंने देखा कि आप खुद ही भगवान से कुछ मांग रहे हैं, तो मैंने सोचा कि जो खुद ही मांग रहा है, वह भला दूसरे को क्या दे सकता है? अतः अगर मुझे कुछ मांगना ही है तो सीधे भगवान से ही क्यों न मांगू। जो तुझे देता है, वह मुझे भी तो दे सकता है...।