जीवन का यथार्थ

मृत्यु अटल है


इस कथन में कोई दोमत नहीं है कि मृत्यु अटल है। इस संसार में जिसने जन्म लिया है, उसका जाना तय है । यद्यपि हर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है, किन्तु जीते जी मनुष्य को इसका भान नहीं रहता। अत: यक्ष ने जब युधिष्ठिर से प्रश्न किया- 'इस संसार का परम आश्चर्य क्या है?' तो युधिष्ठिर ने जबाव दिया- 'मृत्यु।'


यह कितने आश्चर्य की बात है कि इस संसार में रोज असंख्य लोग मरते रहते हैं, लेकिन फिर भी किसी जीवित व्यक्ति को इस बात का एहसास ह नहीं होता कि एक दिन उसकी भी मृत्यु हो जाएगीमृत्यु की इस वास्तविकता से अपरिचित होने के कारण ही मनुष्य इस संसार में तरह- तरह के कुकर्म कर अपने पापों के ठेर को बढ़ाता जाता है।


जीवनभर व्यक्ति अपने परिवार के लालनपालन और अपनी प्रतिष्ठा को कायम रखने की फिराक में व्यस्त रहता है। भाई, बहन, पत्नी और बच्चे उसे धन कमाने और सुख-सुविधा जुटाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। धन और वैभव अर्जित करने के लिए वह हर गलत या सही कार्य करने को तत्पर हो जाता है। यहां तक कि अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए वह दूसरों को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं कतराता। वह भूल जाता है कि इस संसार में वह बस चंद दिनों का मेहमान है। प्रायः अर्थी ले जाने वाले जोर-जोर से 'रामनाम सत्य है' के नारे लगाते हैं, ताकि दुनियां वालों को यह एहसास हो जाए कि एक दिन उनकी भी यही गति होने वाली है।


- हरिॐ तत्सत्