चिन्तन

भजन की महिमा


भजन की महिमा किसी से छिपी हई नहीं है। प्राचीनकाल से ही भक्तिमार्ग की साधना करने वाले संत- महात्माओं ने भजन को अपनी साधना का माध्यम बनाया और अपने जीवन को सार्थक किया। कुछ साधक कहते हैं कि ईश्वर का भजन करने वालों को दु:ख नहीं होता। वास्तव में देखा जाए तो यह कथन काफी हद तक सही भी है। यद्यपि ईश्वर का भजन करने वाले व्यक्ति के जीवन में भी विघ्न और दु:ख आते तो हैं, पर टिकते नहीं। भगवान के भजन का प्रताप ही कुछ ऐसा है कि उन्हें जाना पड़ता है।


किसी भक्त ने सच ही कहा है कि वह दु:ख और दर्द भी अमृत के समान है जो भगवद् भजन करने की प्रेरणा देता है। जो लोग निष्काम कर्म करते हुए निरन्तर भगवद् भजन करने में संलग्न रहते हैं, उनका जन्म वास्तव में धन्य हो जाता है। ऐसे बिरले साधक तो जीते-जी मुक्त हो जाते हैंजिस प्रकार उचित औषधि का सेवन एवं पथ्य-परहेज का अनुपालन रोगों से छुटकारा पाने के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार नियमित साधना एवं संयमित जीवन तथा अनवरत् भजन ईश्वर की प्राप्ति हेतु जरूरी है।


- हरिॐ तत्सत्