बड़ा ही खतरनाक है अल्जाइमर रोग ल्जाइमर एक काफी खतरनाक रोग है, जो आजकल काफी तेजी से फैल रहा है। पिछली सदी तक अल्जाइमर को विकसित देशों की बीमारी ही माना जाता था, किन्तु अब भारत में भी इस बीमारी के काफी मरीज पाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि प्रायः मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक एवं पैथालॉजिकल बदलावों के कारण यह बीमारी होती है। एमआरआई के माध्यम से रोग की गंभीरता का पता लगाकर इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है___ आश्चर्य की बात यह है कि अभी भी 90 प्रतिशत अल्जाइमर रोग के मरीज केवल इसलिए परेशानी उठाते हैं, क्योंकि उन्हें इस बीमारी के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं होती और वे इसे बढ़ती उम्र का एक सामान्य लक्षण मान लेते हैं। न्यूरोलॉजिस्टों का मानना है कि 60 साल की उम्र के बाद यह बीमारी उम्र के साथ बढ़ने लगती है। कहा जाता है कि नशीले पदार्थों के सेवन, अनियमित जीवनशैली व अधिक नमक व फॉस्ट फूड खाने के कारण यह बीमारी उत्पन्न होती है। इस बीमारी से बचने के लिए दवा के साथ-साथ नियमित व्यायाम, योगाभ्यास एवं संतुलित आहार लेना जरूरी माना गया है। आज विश्व अल्जाइमर्स दिवस है। इस दिवस के अवसर पर लोगों में अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूकता पैदा करना नितान्त आवश्यक है। रैली निकालकर अथवा सेमीनार या वर्कशाप का आयोजन कर यह कार्य किया जा सकता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में 'भूलने की बीमारी' कहा जाता है, किन्तु यह सिर्फ भूलने की बीमारी नहीं है, वरन् यह तो उसका सिर्फ एक लक्षण है। हाथ-पैर में कंपन, याददाश्त की कमजोरी, चक्कर आना एवं बैचेनी आदि इसके अन्य लक्षण हैं। कहीं-कहीं तो यह बीमारी कम उम्र वालों में भी देखी गई है, खासतौर पर उनमें जो अधिक सिगरेट, तम्बाखू एवं शराब का सेवन करते हैं। विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने आसपास और मिलने-जुलने वालों में इस रोग की जानकारी देंगे एवं इसकी गंभीरता के प्रति उन्हें जागरूक करेंगे।
बड़ा ही खतरनाक है अल्जाइमर रोगल्जाइमर एक काफी खतरनाक काफी तेजी से फैल रहा अल्जाइमर को विकसित देशों जाता था, किन्तु अब भारत में भी इस पाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि वाले रासायनिक एवं पैथालॉजिकल बीमारी होती है। एमआरआई के माध्यम